Sunday, July 26, 2020

'शिवभक्त' हमेशा कहलाऊँ!






श्वास की अवधि पूरी करके

उसी गंगा तट पर खो जाऊँ
जिसका तुम  आलेप  करो
वही चिताभस्म मैं हो जाऊँ

कण-कण में जहाँ शंकर है
वही घाट बनारस हो जाऊँ
वर दो तुम ! मैं गंगा-काशी
मैं मोक्ष प्रदायक कहलाऊँ

पँचतीरथी या हो राजप्रयाग
मैं अंतकाल में तुमको पाऊँ
शिव-शिव का उच्चारण हो
और 'शिवमयी' मैं हो जाऊँ

बिल्व धतूरों की माला संग
मैं अस्सी घाट की भोर बनूँ
शंख , मृदंग, घन्टाध्वनी हो
मैं महाआरती का शोर बनूँ

यदि तेज भरो तुम मुझमें
वही महातपा मैं हो जाऊँ
नमः शिवाय का हो गुंजन
हिम शिखरों को दहकाऊं

जो कंठ में तेरे शरण मिले
वही 'वासुकि नाग' बनूँ मैं
तेरा एक आदेश मिले जो
प्रलय का अट्टाहास बनूँ मैं

जटाजूट में शरण मिले तो
सुरसरिता की धार बनूँ मैं
तुमसे उद्गम , तुममें संगम
हर प्रवाह को पार करूँ मैं

हो प्रमथगण या प्रेत पिशाच
कैलास शिखर पर रह जाऊँ
शिव दर्शन हो शिव वंदन हो
'शिवभक्त' हमेशा कहलाऊँ!

'शिवभक्त' हमेशा कहलाऊँ!

Featured Post

Symbol of Birth

CLIMATE HEALERS What does a peacock feather symbolise? Peacock Feather Symbolism Peacock feathers, or mor pankh, are regarded as an auspicio...