Friday, April 17, 2020

देखो ना कान्हा में मेरे,, कितने गुण समाये हैं…...



 माना ज़रा सा नटखट है वो
निराली उसकी अदाये हैं,
देखो ना कान्हा में मेरे
कितने गुण समाये हैं…

कृष्ण-कन्हैया, मुरली बजैया
माखन चोर कहलावे है,
उठा के एक उंगल पे अपनी
पर्वत गोवर्धन दिखलावे है…

गोपियो संग रास रचावे
घाट-घाट पे घुमे है,
ले मदमस्त ग्वालो की टोली
गोकुल-गलियन में झुमे है…

जीवन जीने के सही मायने
गीता-उपदेश में सिखाये हैं,
देखो ना कान्हा में मेरे
कितने गुण समाये हैं…

21 comments:

  1. कान्हा का मधुर एवं सरल वर्णन ।। 👌👌

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  2. superb se bhi upar ..❤♥👌✌😍
    Shreee shyam🙏 radhe radhe..🙏

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  3. tarif kru ky uski jisn yh bnya
    radhy radhy ...

    ReplyDelete

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